@SHIVAdubey_2787
Shiva Dubey
@SHIVAdubey_2787 · 4:49

AK kahani part 4

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है? न? हमारे दिमाग में। जो भी निगेटिव विचार आते है उसके वकील हम खुद ही बन जाते हैं। और अपना पक्ष आगे रखकर उसकी बुराइयों को अच्छाइयों में बदल देते हैं। और यही मेरे साथ हमेशा होता? कहते नहीं है। मेरी अदालत में ही मुसलिम दलील भी मैं। वकील भी। मैं। मेरे सामने। रजत की कोई भी बात आती? मुझे? दुःख तो बहुत होता। परन्तु उसकी भोली, भाली, बातें, सुनकर? कम। और गुस्सा का फूल हो जाता। मैं रजत को बहुत समझाती।
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