तो सामने वाले की मन स्थिति किस तरह की हो जाती है? उन मनोभावों के साथ। मैं कुछ पंक्तियाँ लेकर आई हूँ। इसको शीर्षक भी। मैंने चुप ही दिया है। तो? चलिए शुरू करते हैं। जब तुम चुप हो जाती हो? न? तो लगता है की मैं तुम्हें जानता ही नहीं हूँ। पता तो है? मेरे पास? तुम्हारे घर का भी। पर? शायद? मैं तुम्हें पहचानता नहीं हूँ। तुम?
Neelam Singh
@NEELAM · 0:28
हेलो? गुड मॉर्निंग शिल्पी जी। और आपकी चुप। कविता। मुझे अच्छी लगी कि हां कोई आपसे बात करते करते सडनली चुप हो जाए। तो वो चुप्पी। बहुत चुप्पी है। तो बहुत अच्छा से विवरण किया। आपने? अच्छी लगी। आपकी। यह पॉइटरीमुझेऔरलाइए। कुछ ऐसी, मजेदार थोड़ी अलग सी पोयटरी।
shilpee bhalla
@Shilpi-Bhalla · 0:33
नमस्कार? नीलम जी आपके रिप्लाई के लिए। पहले तो बहुत बहुत धन्यवाद। और आपको मेरी पोयट्री अच्छी लगी। आपको कविता अच्छी लगी। मेरी इसके लिए भी बहुत बहुत शुक्रिया। जी। बिल्कुल। आपके साथ शेयर करके मुझे अच्छा भी बहुत लगता है क्योंकि आप खुद बहुत अच्छा लिखते है। तो जो समझते हैं कविता को उसके भाव को तो उनके साथ तो शेयर करने में वैसे भी बहुत बढ़िया लगता है। तो ऐसे ही आप भी अपना प्यार और साथ बनाये रखेगा। बहुत बहुत धन्यवाद।