kahan गया वो पुराना saa indian culture
और फिर उन्होंने मुझे भी खिलाई। और पूरे रस्ते? वो लोग? इतने हैप्पी? ऐसी बात? करते? करते चले आ रहे थे। तुमने सोचा की? यार? आज देखो। आज मैं कभी ट्रेन में जाती हूँ? तो 1 बंदा दूसरे फ़ोन पे लगा। वह है? दूसरा तीसरे फ़ोन पर लगाव है? या वो? वीडियो गेम खेल रहा है? कोई कुछ कर रहा है? कोई कुछ। इंटरेक्शन ही बंद हो गई है। यार 1 बार। बचपन की बात है? तो काफी छोटी थी। तो हम ट्रेन में जाते थे। तो 1 लड़की?
बच्चे में। देखता हूँ? अच्छा है। मेरी नीस है। मेरे। तो मैंने घर का रूल बनाया है कि मोबाइल 1 हद तक उस होगा उसके बाद। नहीं। एंड द हाफ टू गो। आउटसाइड उनको नीचे जाना ही पड़ेगा दे हैव। टू डाउन स्टेज? और उनको गेम खेलने होंगे। इन। विद? दी। पेट्स। जैसे बगिंग करनी है। तो ये हम पर डिपेंड है। आगे आने वाली जनरेशन पर। कितना क**्रोल कर? सके? आइ? थिंक? यही संस्कार होता है। ये भी। समझ में आ रहा।
इसका कोई इलाज मिल नहीं रहा है। पक्का तौर पे। और ये हमारे इंडियन कल्चर की खूबी थी कि पहले यह लोनलिनेस कभी डेवलप ही नहीं हुई थी। खत्म? होना तो तब होगा जब होगी। और यही मुझे लगता है। और अच्छी चीजें भी हुई है। यह बात भी सही है। और नए नए कमाई के जरिए निकाले हैं। और मैंने खुद ऑब्जर्व किया है। जैसे मैं मेरा यूट्यूब के चैनल चैनल चलता है। मेरा तो जब से चैनल। वगैरह मैं चलाता हूँ। तो 1 नियम सा हो गया है। बस इस टाइप से। वीडियो डालनी है।