@sarwan_shan
Sarwan Kumar
@sarwan_shan · 3:23

तू भी चुप है मैं भी चुप हूँ यह कैसी तन्हाई है

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तू भी चुप है? मैं भी चुप हूँ? ये कैसी तनहाई है? तू भी चुप है? मैं भी चुप हूँ? ये कैसी तनहाई है? तेरे साथ? तेरी? याद? आई? तेरे साथ? तेरी याद? आई? क्या? तू? सचमुच? आई? है? शायद? वो दिन? पहला दिन था पल के बोझल होने का। शायद। वो दिन। पहला दिन था पल के बोझल होने का। मुझको। देखते ही। जब उनकी अंगड़ाई शर्माई है।

तू भी चुप है मैं भी चुप हूँ यह कैसी तन्हाई है / जॉन एलिया

@Priya_swell_
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 0:07

@sarwan_shan

it? was? seriously, good, von, linsworsonice? and urely? sang it। weriwelkeeposting, like this।
@NEELAM
Neelam Singh
@NEELAM · 0:32

@Shraavan_ @sarwan_shan

लबों को हमने इजाजत नहीं दी। उसने। तहजीब की चादर ओड रखी है? लबों को हमने इजाजत नहीं दी। उसने। तहजीब की चादर ओड रखी है। पर चुप रहना भी मुनासिब नहीं। इसलिए कलम ने बगावत, छेड़ रखी ी है। तो बहुत ही खूबसूरत कविता थी। आपकी। और मुझे। अच्छी लगी। और 2 लाइन। मैंने। अपनी लिखी भी। आपको सुना दी। थैंक यू।
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