@sarwan_shan
Sarwan Kumar
@sarwan_shan · 1:57

मेरी ज़िन्दगी पे मुस्करा मुझे ज़िन्दगी का अलम नहीं

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ह**ो दोस्तों, मैं आज आपके सामने लाया हूँ। 1 जाने माने शायर शकील बदायुनी की 1 गजल। जिसका नाम है मेरी जिंदगी। पे न मुस्करा। मुझसे जिंदगी का? अलम? नहीं? तो पेश करता हूँ आपके सामने। गजल। मेरी जिंदगी। पे। न मुस्करा, मुझे जिंदगी का? अलम? नहीं। जिसे तेरे गाँव से हो, वास्ता। वो खिजा? बाहर से? क*? नहीं। मेरा कुफ्र हासिले? जूद है? मेरा जूद? हासिले? कुफ्र है? मेरा कुफ्र हासिले? जूद है? मेरा जूद? हासिल? कुफ्र है? मेरी बंदगी?

मेरी ज़िन्दगी पे मुस्करा मुझे ज़िन्दगी का अलम नहीं / शकील बँदायूनी

@kalakalyani1
kala vyas
@kalakalyani1 · 0:03
गज्जब की पेशकश क्या बात है?
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@NEELAM
Neelam Singh
@NEELAM · 0:12
बहुत सुंदर गजल है जो आपने गाय है। और आपको सुनाने का अंदाज मे और अच्छा कर दिया। उसे चारचांद लगा दिए।
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