जब हम खो नहीं पाते? तब बचपन याद आता है? जब चिंता सताती है, हमारे तन को खाती है। जब भी मन नहीं मिलता, तब बचपन याद आता है। जब हम टूट जाते हैं। जब अपने रूठ जाते हैं, जब सपने सताते हैं। तब बचपन याद आता है। बच्चे हम रह नहीं पाते, बड़े हम हो नहीं पाते, खड़े भी रह नहीं पाते? तब बचपन याद आता है? किसी को सह नहीं पाते? अकेले रह नहीं पाते? किसी को कह नहीं पाते? तब बचपन याद आता है यह बचपन। और ये बचपन की बातें।
Aishani Chatterjee
@Aishani · 1:29
रिप्रेज? दैट? टू? गो? अबाउट तो इन फंक्शन नॉर्मली ब*? जब आप बैठते हो अकेले? और जब कोई आसपास नहीं होता। i think that feeling? just riserfacesand? we? feel it? all over again? तो थैंक यू सो? मच इतने इतना खूबसूरत? 1 स्वेल शेयर करने के लिए हम सबके साथ। and yeah? really really? like? listing? to it?
Sarwan Kumar
@sarwan_shan · 0:28
थैंक? यू वेरी मच। आपको। मेरा ये सवाल इतना अच्छा लगा। और अकेले पन को वही महसूस कर सकता है। जिसने अकेले पन को जिया हो। तो आपकी बातों से लगता है की हाँ आपने भी कभी कभी इस अकेलेपन को महसूस किया है। बचपन और बचपन का ये अकेला पन और ये बचपन की यादें सच में हमें हमेशा याद रहती है। आपने तारीफ किया उस तारीफ के लिए। बहुत बहुत धन्यवाद।