दर्द हूँ? दिल की कसक हूँ? जलन हूँ? दर्द हूँ? दिल की कसक हूँ? किसी का हाई? खोया? प्यार हूँ मैं गिरा हूँ भूमि पर, नंदन विपिन सिंह गिरा हूँ भूमि पर, नंदन विपिन से, अमर, तरु का सुमन? सुकुमार हूँ मैं। मधुर। जीवन हुआ कुछ प्राण। जब से। मधुर जीवन हुआ कुछ प्राण। जब से लगा। ढोने व्यथा का भार हूँ मैं रुदल मूल धन? कविका? इसी से? रुदन? अनमोल धन? कविका? इसी से? पिरोता? आंसुओं का? हार? हूँ मैं। मुझे।
kala vyas
@kalakalyani1 · 0:22
पूरे जोश से गाया है। आपने। सुबह? सुबह, चाय कॉफी के साथ आपके जोश भरी। आवाज़ में दिनकर जी की ऐसी ही कविताएं सुनने को मिल जाए तो जिंदगी में और भी ज्यादा उमंग भर जाती है। ऐसे ही गाते रहे, मुस्कराते रहे। और हमारे जीवन में जोश भरते रहे। शुक्रिया।
Nikhil Kapoor
@lamhezindagike · 0:21
बेहद खूबसूरती से पड़ी हुई। रशना। रामधारी सिंह दिनकर जी के कवि शैली को तो कौन नहीं जानता? लेकिन जिस तरह से आपने रचना पढी है उसको सादरनमन आशा है। इसी तरह आपको और सुनते रहेंगे।