जातपात। और धर्म के नाम पर चुनाव प्रचार हो रहा। जातपात। और धर्म के नाम। चुनाव प्रचार हो रहा। मुफ्त। मुफ्त के लालच में। मतदाता भी ईमानदारी हो रहा। देश प्रेम को भूल गए हैं। सबके अपने स्वार्थ हैं। देश प्रेम को भूल गए हैं। सबके अपने स्वार्थ हैं। हर बात में अपना मतलब है। न? समझो। कोई परमार्थ है। अपराधी बन गए। नेता? या नेता। बने। अपराधी? है। पाकर। सत्ता।
Aishani Chatterjee
@Aishani · 0:34
हाई सरिता आप बहुत बहुत अच्छा लिखती है बहुत अच्छा लगा मुझे आपका ये कविता आलसो थिंग दैट द व साइटे उससे बहुत इम्पैक्टफुल लगा आई होप कि आप सौर भी लिखते रहे और swelp अपलोड करती रह अपनी कविताएं और rit ups and yes totally looking folle to hearing mow such points from you।