नमस्कार। मेरा नाम है सरिता सिंह। और आज मैं आपको सुनाने जा रही हूँ अपनी 1 कविता। जिसका शीर्षक है 1 कविता। दिल्ली। पर। ये बार बार उजड़ी। और फिर से बसाई। यह बार बार उजड़ी। और फिर से बसाई। दिल्ली। ली। दिल वालों की। मेरे दिल में। है। समाई। राजधानी। देश की। है। नगरी। पुरानी। राजधानी। देश की। हैं। नगरी। पुरानी। महाभारत से शुरू हुई। इसकी। कहानी। जन्मभूमि है। मेरी मीठे पल। यहीं। बिताए।
कितनी खूबसूरत पार्टी है आपकी हां जिस बंजर धरती को पांडवों ने इंद्रप्रस्थ बनाया उस धरती पर बहुत सारी कहानियां छिपी हुई हैं हर कोने में कहानी है जैसे उसकी हर धडकन में कुछ न कुछ छुपा हो समझने के लिए कि कैसे जहाँ कुछ नहीं है वहाँ उम्मीद से प्रयत्न से कुछ बढ़ाया जा सकता है वो नगरी जितना बार बेटी उतरी बार वो उठ भी गए क्योंकि इसलिए कि उम्मीद और प्रायरी की केरल डे उसे फिर से जगाया यह दिल्ली की कहानी है और दिल्ली में हमे वो उम्मीद भी देखनी है।
SHREYA SAHA
@Angel3110 · 0:08
अति सुंदर बहुत अच्छा किया है आपने आल द वेरी बेस्ट for your अपकमिंग swells love डिट।