@Sakshe
Sakshe Bhatt Somani
@Sakshe · 0:41

Kabhi kabhi

article image placeholderUploaded by @sakshe
हाँ कभी कभी लगता है तेरे साथ कुछ फल और मिल जाते तेरा हाथ होता माथे पर और हम बे फिक्र सो जाते दूध क्यों नहीं पीती फल क्यों नहीं खाती सर्दी है अच्छे से क्यों नहीं उड़ती कब आएगी तू खुश है न यह सवाल लौटाते वो हिदायते वो पोंड्स की कोल क्रीम और टैल्क संभाले रखे हैं मैंने कभी कभी लगता है चाय के प्याले में, सर्दी की धूप में, ओस की बूंदों में, हाथों की लकीरों में और इस भीड़ में काश तुम भी नजर आते हैं कभी कभी लगता है तेरे साथ कुछ पल और मिल जाते।

Nostalgia

@heartofficial
hruday bagul
@heartofficial · 0:02
real in nice lines।
@Aishani
Aishani Chatterjee
@Aishani · 0:48
हाई आपकी कविता सुनकर मन मन उदास हो गया पर बहुत बहुत अच्छा भी लगा बहुत खूबसूरती के साथ, बहुत प्यार के साथ आपने ये आपने बड़ा क्या है आप कैसा फील करती है और you riding this really beautiful a thank you so much for sharing it with as a is a beautiful beautiful on और मैं आशा करती हूँ कि आप अपने और भी कविता से शेयर करते रहेंगे swellpebecause i will definitely be looking for word to hering more from।
@Swell
Swell Team
@Swell · 0:15

Welcome to Swell!

@Naveen099
Naveen Dhoundiyal
@Naveen099 · 0:30
so sweet it seems that works are you rs but feeling is main i only can say that love you mom is great olwismisinbeautiful were thanks for sharing।
@sonofindia
Kunal Jain
@sonofindia · 0:37
साक्षी जी काफी नैचुरल सी लाइनें हैं बहुत अच्छी लगी आपने को जिस तरह से 1 माला में रोया वो काफी सुंदर है इसी को कविता कहते है एक्ली जीवन के जो कुछ शण हैं यादें हैं उनको आपकी खुबसूरती से 1 माला में पिरोते हैं और उसके बाद स्कूलों को पेश करते हैं जिस तरीके से तो आपको बहुत बहुत बधाई और ऐसे ही लिखते रहिये ताकि हमें भी अच्छी कविताएं सुनने का मौका मिलेगा थैंक यू वेरी मच।
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