ये बहुत इम्पोर्टेंट थीं की हम इस चीज को लेकर बैठ जाते है की यार मैं उसके बराबर का नहीं हूँ? या फिर वो मेरे बराबर की नहीं है? तो यह तो ख्याल हमारे अंदर आ जाता है। बराबर का मतलब यह नहीं है की लाइक पैसा, लाइक? रिच एंड नथिंग? अलग अलग से धरना बैठा लेते हैं। अब वो लड़के समझ पाते हैं कि वो क्या सोचते हैं? क्या? नहीं? पूछते हैं? ब*? ठीक है? ओके थोड़ा? डिस्कस? ज्यादा? लम्बा हो रहा है? तो मेरी शायरी है। मैंने 1 शेर कहा था की मुझे यूं तड़पाने की जरुरत क्या थी?