हमने। हर सपना? तोड़ दिया। लाखों सपने थे। हजारों आंखों। में। किसी बात की। परवाह न की। बस साथ सभी का छोड़ दिया। हम। नालायक। निकले। इस बात का? है? अफसोस? नहीं। मेहनत नहीं करनी। हमको। उतर जाओ। सड़क। पर। जब वह हो गई। पढाई। उतर जाओ। सड़क पर। बिना मतलब करनी। है? दर ढाई कर्जा। और सड़क पर। हम आंसुओं की नदी। बहाएंगे।
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 0:13
आपकी। कविता बहुत ही ज्यादा अलग थी। और बहुत सारी चीजों को उभार रही थी। और बहुत ही ज्यादा सोच समझ के। आपने। इसे लिखा बहुत ही अच्छा लिखा है। आपने इसे।
Muskan Bothra
@Heart_sayer · 0:52
क्या बखूबी? दर्शाया है? आपने? 1 कडवी सच्चाई को 1 आईने के रूप में। बहुत बखूबी कहा है। आपने? आज? सब कुछ छोड़ छाड़ कर। लोग सड़कों पर उतर आए हैं। अपनी मंजिल को छोड़ कर, दूसरे की मंजिल को रोकने में इतना व्यस्त हो गए हैं कि वो खो गए हैं? कितना? सच? कहा है? आपने? कि? आज लोगों ने सड़कों पर ही अपना डेरा जमा लिया है? मानो? आज के इस युग की सच्चाई। बहुत बखूबी दर्शाई है। आपने।