ROHIT RAJ
@Rohit_raj_0001 · 2:34
" किसान : हमें जिंदा रहने दो "
भूखे? पेट चांद पर नहीं रह सकते? पहले अपने जीवन का सत्कार करो, तुम विकास करो, आगे बढ़ो, पर अपनी धरती को भी। प्राणियों का बसेरा बने। रहने। 2। अपनी स्वार्थ यार में, अंधकार में, खुद को मत ढकेलो। तुम। इस सुंदर से, जहां में तुम खुशियों का सवेरा बने। रहने। 2। हम किसान हैं? भाई? हमें जिंदा? रहने। 2 हमें जिंदा। रहने। 2। धन्यवाद।
Huma Ansari
@HumaAnsariwrite · 1:07
ह**ो रोहित जी। आपने किसानों के जज्बातों को महसूस किया। और बहुत ही अच्छे से उसे लव्जों में पिरोया। यह बात हर इंसान को सोचनी चाहिए। कि हम प्रकृति को नुकसान पहुंचा कर। अपने लिए। ये ही मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं। 1 किसान जो हमारे लिए धान उगाता है। उसकी जिंदगी उसकी फसल में ही बसती है। हमें उसकी पीड़ा समझनी चाहिए। साथ मिलकर प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए। बहुत ही उम्दा विषय उठाया है आपने। किसान हमारे लिए इतनी मेहनत करता? बदले में? कुछ भी तो नहीं? चाहता? क्यों?