तुम चुप रहती? हो? न? खामोशियां। सुनता। हूँ। 1। तेरे ही संघ? जिंदगी के ख्वाब? बुनता? हूँ? उन ख्वाबों के डर में। कोई दूसरा? आजाहेजो? मुझसे? ज्यादा? अगर वो तेरा हो जाए। तो? तेरी खुशियों का सवाल है? उसके साथ चले जाना। मैं रह लूंगा। तेरा होकर तुम बस? चले जाना। तुम चले जाना। धन्यवाद।
Jagreeti sharma
@voicequeen · 0:40
हेलो? रोहित जी। आपने तुम चले जाना। कविता में अपने प्रेम की भावना को बहुत ही खूबसूरती से पिरोया है। कहते हैं सच्चा प्रेम वही होता है जिसमें आप खुद से ज्यादा दूसरे की अपने लव वन की खुशियों की परवाह करें। आपकी। कविता यही बात सिखाती है कि मुझे तो तुम्हारी खुशियों से मतलब है। मैं तो तुम्हारे बिना भी तुम्हारा होकर रह लूंगा। आपकी। कविता बहुत अच्छी लगी। इसी तरह से लिखते रहिएगा। और हम सब को कविताएं सुनाते रहिएगा। धन्यवाद।