निमम होते जा रहे। मानव? पर? यह कैसा? विकास हो रहा? हम? भारी? पड़ रहे? दानों पर? विकसित? बुद्धि? तेज? दिमाग? संस्कार? से। लेकिन हम समाज? आखिर कब तक बढ़? पाएगा? शीघ्र ही विनाश हो? पाएगा? जिन्होंने हमें जीवन दिया। उनका अस्तित्व। मिटा डाला। इस 1। कलंक ने। मानव जाति को जानवरों की श्रेणी में डाला। माता, पिता, भाई, बहन, हर रिश्ता भूलते जा रहे। हम। हर तरफ।
Muskan Bothra
@Heart_sayer · 2:31
लेकिन इस खूबसूरती के पीछे क्रूरता का अंधेरा छाया हुआ है? जो कभी भी पोर काट कर बाहर निकल सकता है। आपने? जैसे की 1 लाइन में कहा था कि कैसे हम मानव अपने बदन को ढंकने के लिए पशुओं के शरीर को चीर रहे हैं? यह सही नहीं है। लेकिन क्या करें? यह? आधुनिकता? हम मानव को विवश कर रहे हैं? हमें मानवता कैसी होनी चाहिए? इस जीत से? हमें दूर भगा रही है। आपने बखूबी सच्चाई को सामने लाकर खड़ा कर दिया है। जितना हो सके। हम सभी यही कोशिश करेंगे कि हम मानव मानव बन के रहे?