नमस्कार मैं। रोहित राज। आज 1 बार पुनः आप सभी के समक्ष प्रस्तुत हूँ अपनी 1 नई रचना लेकर। जिसका शीर्षक है मैं। यूँ तो मिलूंगा नहीं। तो चलिए शुरू करते हैं। बातों ही। बातों में। बातें बंद हो गईं। हमारी। हम थे। बात करते रह गए। हमसे ही। नजरें? हट गयी। तुम्हारी। दुखी। हम ही थे। अब खफा भी न हो? 1। पल को। हम? रुके भी नहीं। फिर तेरी जिंदगी से दफा ही न हो? आखिर। अब ऐसा रहा भी है? क्या? मुझमें?
Muskan Bothra
@Heart_sayer · 1:48
नमस्कार सर? तो आपने। 1 दुखद सी प्यार भरी? कहानी नहीं? कविता लिखी है? लेकिन 1 कहानी के रूप में। अपने जज बातों को उन चंद लाइनों में बखूबी बताया है। तो मैं ये कहूंगी कि सही कहा जब जिसमें जान थी अब वो ही नहीं रही? तो उन सांसों का क्या? ये तुम्हें? मिलूंगा? नहीं? क्योंकि बातों में अब वो बात नहीं रही? लेकिन हां? मैं मिलूंगा सही। जब उस चांद को देख कर तुम्हारी चांदनी? याद आएगी। मुझे? जब तुम अपनी मुस्कराहट से मेरा दिन बनाओगे?
Prabha Iyer
@PSPV · 3:11
people? who deserved your dear? i will always say that never was to des? it? dispriciusso? what i understood? from the poetry? is? true? los? are? very read? if you get it? please? keep them? with? car? थैंक? यू? so much?