मैंने यह कट्टा लिखी है कि शुरू करते है? मन। मेरा कहीं जाने को नहीं करता? फिर 1 जगह रह जाने को नहीं करता। यह चंचल है। थोड़ा। उड़ जाना चाहता है? खानों के असमान दूर जाना होता है। कुछ पागल। सा है। बच्चों। सा भागता है। खुशियों की तलाश लिए। किलकारियां मारता है? खुशियों के पल में? जी भर कर नाचता है। दुख की घड़ी में। खामोशियां बांटता है। यह मन है। मेरा। मेरी ही। परछाई दिखता है। मन। मोजी है। बड़ा बस। खुद की करता है? बस।
नमस्कार। सबको आशा करती हूँ की आप सब ठीक और खुशहाल होंगे। तो आज आपने बहुत ही अच्छा जो राय है वो लिखा। ये पागल सा मन मेरा तो आपने जो है बहुत ही अच्छे से लिखा। और ऐसे ही लिखते रहिये। और हमें सुनाते रहिये। तो धन्यवाद।