दूसरे को कोसते? पुर? जोर है। हर दिन। सयंत्र रचे जाते हैं। समाज पर। कुठारा घात किया जाता है? घना के बीच। बोये जाते। दिलों में। अपनी विश्वासघात? किया जाता है। चंद। असामाजिक तत्वों के कारण। फैलता नफरत का कारोबार है। बुराइयां। बीमारी की तरह। फैल रही। यह। हर। आदमी। लाचार है। हमें। एकजुटता दिखानी होगी। दिलों की। दूरियां। मिटानी होगी। मतभेद। भुलाकर। आगे बढ़। सकें? इतनी, देर।
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 0:10
बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है। आपने। बहुत ही मीनिंग फुल थी। इसका 11 लाइन। हमें बहुत कुछ सिखाता है। थैंक यू सो मच फॉर पोस्टिंग दिस एंड की पोस्टिंग लाइक दिस।