महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर फिर से एक बार उद्धव ठाकरे के ख़िलाफ़ निर्णय लेने का हक़ रखते है…?
हमारे बच्चों की पढाई लिखाई से लेकर पॉलिसी तय? नहीं करेगा? क्योंकि उसको कुछ पता ही नहीं है? वो क्या कर रहा है? वो? सिर्फ? पैसा? कमाना? जानता है? और वो भी? खुद के लिए। तो कहानी? में आपको? 1 स्पष्ट बता देना चाहती हूँ कि महाराष्ट्र की राजनीति, जिस संविधान के एकदम पेचीदा मामले में फंसी हुई है, उस पेचीदा मामले का मामले? का निर्णय लेते? वक्त? सुप्रीम कोर्ट ने इन तमाम नेताओं के खेल को?
जिस चीफ विप को अपॉइंट किया है। वो संविधान की चौकट में बैठने वाला निर्णय था ही नहीं? अब जरा सोचिए कि यह निर्णय यदि संविधान की चौकट में बैठने वाला था ही नहीं? इसका मतलब यह साफ है कि यह सरकार ही गलत बुनियाद? पर खड़ी है? अब आप सोचेंगे कि राहुल नार्वेकर? यदि 1 न, शिंदे, प्लस, पंद्रह, विधायक? जो शिवसेना से अलग हुए, उनको यदि डिस्क्वालिफाई कर देते हैं? तो सरकार गिरेगी? क्या? टेक्निकली? सरकार? गिर जाएगी?