वरिष्ठ नेता शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को दो-दो कार्याध्यक्ष बनाने की नौबत ही क्यों आयीं…?
ये दोनों ही तरफ खेमे की तरफ से की जाएगी। मगर जब बात अपने कार्यकर्ताओं को, अपने करीबियों को टिकट देने की। आएगी विधानसभा के समय? लोकसभा के समय? तब संघर्ष? ऐक्चवली? इस पार्टी के अंदर शुरू होगा? उस समय पता चलेगा कि किसका पडला भारी है? इस बीच में 1 और बात हुई है? जो महाराष्ट्र के अध्यक्ष हैं? राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के? जयन पार्टी। उन्होंने 1 प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह कहा कि अब मेरे वरिष्ठ नेता हैं। वो सुप्रिया। सुले। महाराष्ट्र में। किसी भी चीज की। अभी कोई भी ऐसी बात हो जाती है?
तो इसका मतलब यह है कि आने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जो टिकट बंटवारा होगा जिन्हें तवज्जो दी जाएगी। जो पद मिलेंगे पार्टी के। अंदर भी अलग अलग पीसीज और अलग अलग जगहों पर। वहाँ पर। बदला। भारी। ये हमेशा सुप्रिया स्लोह। जयन पवार का रहेगा। जैन पाटिल का रहेगा। सौरी। ऐसे में 1 माइक्रो लेवल। पर यदि हम सोचें कि चर पवार ने ये गूगली या फिर ये स्टेप ले कर क्या कर दिया है?
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