Nikita goswami
@riya06 · 1:37
Kavita for love ?
हेलो जी? कैसे हैं? आप लोग? हाजिर? हूं? मैं। 1। और नई कविता के साथ। आपकी। दोस्त। निकिता? जिसके शब्द तो मेरे नहीं हैं। पर आवाज मेरी है। आई होप। आपको पसंद। आएगी प्रेम। वो प्रेम ही क्या? जिसके अस्तित्व को बनाए रखने के लिए आपको हर पल प्रयास करना पड़े? प्रेम? सहज, सरल। किसी तरल पदार्थ। सा, बहता हुआ। जिधर, बहाव ले जाए। वैसा होना चाहिए। प्रेम में। कोशिश? नहीं होनी चाहिए। कभी साथी रूठ जाए?
and firstly? to really? thanks? for? sharing? this? wonderful? potrydyes? i? think? apne? cay? saye? a? love? is? nothing? but constant? effort? and trying? because? once the other person? stop? giving? you? know? attention? to detail? and stop? taking? care? of? the other person? or even? stop? listing? to them? i? m? not? talking? in? a? mana? like?
Hema Sinha
@HemaSinha1978 · 1:04
हेलो निकिता जी। मैं हिमा सेना स्वैल। पर आपकी कविता सुनी। जो आपने प्रेम के ऊपर बहुत सुंदर बताया है। प्रेम के बारे में। मैं भी कुछ कहना चाहती हूं। प्रेम निशवार्थभाव से किया जाता है। निश्वार्दभाव से किया गया प्रेम ही सच्चा प्रेम होता है। बिल्कुल सही बात है कि प्रेम न किसी का बदला देखता है, न किसी की कोशिश देखता है। वह तो स्वत ही हो जाता है। न उसे दिखाने की जरूरत पड़ती है और न वह छुप पाता है। प्रेम तो 1 अंदर से अपने आप ही 1 भाव है।