या फिर यूं कहूं कि मैंने उन्हें कभी हारते नहीं देखा। आज भी जब वो कुछ बीमारियों से जूझ रहे थे तब भी जब हम उनसे मिलने जाते? तो वो कहते कि मैं ठीक हूं। तुम सब परेशान मत हो। और हमारी फिक्र करते कहते है कि तुम सब घर जाओ और अपना ख्याल रखना। मैं बिल्कुल? ठीक हूं? तो मैं सोचती हूं कि वो 80 साल का व्यक्ति? जिसने आज भी हिम्मत नहीं। हारी। मैं उनकी बेटी हूं? जिनके लिए मुझे बहुत कुछ करना है।