Shayari by Rajiv Roy
अगर जज्बात भी होते चमकते आशियानों में अगर जज्बात भी होते पुराने घर की वो मिट्टी वो आंगन याद आता क्या और मेरे गम के घने बादल मेरी माँ की अमानत हैं मेरे गम के घने बादल मेरी माँ की अमानत हैं नहीं तो अश्क बहते ही वो दामन याद आता क्यों
हाय? राजीव जी। आपके ये स्वेल बहुत बढ़िया है। आपने सही कहा। अगर ऐसी मतलब धन से खुश है तो बचपन की याद क्यों आती है? अगर हम प्रेजेंस। अभी हमारे पास जो प्रोसेशन है उससे बहुत खुश है? तो हम अपने इमोशंस हमारी जो पुराने एक्सपीरियंस है, पुरानी यादें हैं उसके उसे बार बार क्यों दोहराते रहते हैं? अपने अच्छी तरह? 1 प्रश्न के रूप में। सबके मन में सवाल उठाने की कोशिश की। बहुत अच्छा लगा। और जिस तरह आप अपने मन की विचार को कविता के रूप में व्यक्त की। मुझे बहुत अच्छा लगा। आप ऐसे ही स्वेल्स करते रहियेगा? बहुत बहुत धन्यवाद।