सूरज है नाम उसका फिर भी। ये सादगी है देने को। वो उजाला बस। खुद को जलाता है आते ही चांद। लेकिन अपना जलाल खोकर। मासूम परिंदे। सा घर लौट के जाता है।
सूरज है नाम उसका फिर भी। ये सादगी है देने को। वो उजाला बस। खुद को जलाता है आते ही चांद। लेकिन अपना जलाल खोकर। मासूम परिंदे। सा घर लौट के जाता है।