दरिया छुपा है दिल में जो बह नहीं पाया दरिया छुपा है दिल में जो बह नहीं पाया। और दुनिया से अपनी बात कभी कह नहीं पाया सहता रहा। महरदम। दुनिया के हर सितम। सहता रहा। महरदम दुनिया के हर सितम। पर। तीर। 1 जुबान का क्यों सह नहीं पाया
दरिया छुपा है दिल में जो बह नहीं पाया दरिया छुपा है दिल में जो बह नहीं पाया। और दुनिया से अपनी बात कभी कह नहीं पाया सहता रहा। महरदम। दुनिया के हर सितम। सहता रहा। महरदम दुनिया के हर सितम। पर। तीर। 1 जुबान का क्यों सह नहीं पाया