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Rajiv Roy
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Shayari by Rajiv Roy

article image placeholderUploaded by @rajivroy
दरिया छुपा है दिल में जो बह नहीं पाया दरिया छुपा है दिल में जो बह नहीं पाया। और दुनिया से अपनी बात कभी कह नहीं पाया सहता रहा। महरदम। दुनिया के हर सितम। सहता रहा। महरदम दुनिया के हर सितम। पर। तीर। 1 जुबान का क्यों सह नहीं पाया

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