Shayari by Rajiv Roy
दोस्तों 1 कता 4 पंक्तियां पेश कर रहा हूँ। अर्श क्या है उड़ता हुआ परिंदा कब लौट के आएगा उड़ता हुआ परिंदा कब लौट के आएगा जो जाल बिछाते हैं, ये सब्र भी रखते हैं। और इस दौर के सावन से। रहना जरा संभल के। इस दौर के सावन से। रहना, जरा संभल के चालाक हैं। बादल भी मतलब से बरसते हैं।
shilpee bhalla
@Shilpi-Bhalla · 0:09
hello thank you shani share this with me राजीव सर बहुत बहुत अच्छी पंक्तियां थीं। आपकी। बहुत खूबसूरत।