जब मशरूफ में तेरी तस्वीर में खो रहा था। और ये बारिश मुझ पर बरस रहा था। वाकेफ तो मैं भी। हूँ जमाने के दस्तूर से। और तेरे तस्वीर की तारीफ में। मुझसे अनजान हजा की तादाद में दुआए नजर आ रहे थे। उसमें तेरे नाम का अर्श फरमाते हुए। मेरा भी। 1 दुआ तेरे नाम पे आमीन कराया। जब वो तेरी तस्वीर मेरे आँखों के सामने आये है। गुजरते वक्त के साथ। बूंदों का टिमटिमाना टिमटिमाना रुकसत हो रहा था। मेरे हाथ में।