1 शाम मुझे ख्याल आया के इन गरजते बादलों पे मुझे सवाल आया बरसते बूंदों की महफिल में वो चेहरा नूर बन के चमक रहा था मन मेरा उसके नाम से खुद ब रहा था वो चूम रही थी उस शाम को सुकू बन के मैं सुन रहा था उसके झुमकों की खनक खुद को वहीं रोक के वो लहजा उसके दुपट्टे का फिजा को काफिर बना रहा था मैं दूर 1 खिड़की से उसके करीब जा रहा था वो महफिल की रुहानियत वो पायल की गूंज उसके काजल का काफिला उसके पलकों की बूंद वो झूम रही थी हर बूंद के सुरूर में और मैं दूर से उसके करीब जाने का इंतहा दे रहा था किस्सा वो शाम का फसाना इश्क फरमा रहा था उस नायाब सी शाम में वो गुलाबी चांद बनता जा रहा था कभी अपने उलझते लट को अपनी उंगलियों से फैल रही थी कभी अपने पलकों से बेखौफ मशक्कत कर रही थी वो अपने पायल की जोर से बरसते बूंदों को छलका रही थी प्यास से भरे जमीन को और तरसा रही थी वो शाम उसके झुमकों की झनकार सी कामिल होता जा रहा था वो मरहमी सा चेहरा मेरे टिमटिमाते ख्वाबों को और बेकरार करता जा रहा था वो हसी सा आलम वो गरजते बादलों का महखाना बरसते बूंदों की महफिल और हंसनी का ठिकाना बड़ी शिद्दत से उसके जुल्फे संवारने की इजाजत मांग रहा था सवाल बस ख्वाब का था और वो खुदा हकीकत बना रहा था वो कोशिश में थी खुद को समेटने की बूंदों की बारात उसको झूमने में मजबूर कर रहा था वक्त मगरेब के आजाद का था और बर्क तरसते शाम का था दिला विश का मुकद्दर उसके नाम करने चला था वो ख्वाब है या हकीकत समझने चला था वो 2 घंटे का वक्त फिर उस बारिश का थम जाना थाम के अपने दिल को उस खिड़की से इश की पुकार लगाने चला था वो ख्वाब थी या हकीकत यह समझने चला था यह समझने चला था जी हाँ।
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 0:13
you are game back with the best of your lins seriously you right amazingly and you really decide that in the best we keep posting like this।
this is beautiful nishant looking fold to hearing me from you on swells and yeah thank you so much for inviting this was really beautiful।
Swell Team
@Swell · 0:15
Neelam Singh
@NEELAM · 0:39
बहुत सुन्दर कविता थी आपकी और साथ ही मैं भी अपनी लिखी 1 कविता को सुना देती सी से जुड़ी हुई इस तरह की कुछ कविता मेरी लिखी भी है कौन कहता है तुम मेरे साथ नहीं मेरे जीवन का ऐसा कोई पल नहीं जब तुम मेरे पास नहीं मैं सोता हूं तो तू खयालों में होती है आँखों को बंद करते ही मेरी बाहों में होती है बाहर जाऊं तब भी तुम मेरे साथ चलती हो मैं तुम्हारी बातें याद कर करके मुस्कराता हूं ऐसा कोई पल नहीं जब तुम मेरे साथ नहीं।