मुझे अभी भी बचपन के वो दिन याद हैं जब…
बचपन में हर दिन कितना एडवेंचर होता था न घर का आसपास घूमना दोस्तों के साथ खेलना और स्कूल की छुट्टियों का इंतजार करना सब यादगार होते थे न घर के बगीचे में ढूंढना बारिश के मौसम में नाचना और छोटे छोटे सपनों को देखना बचपन की यादें हमेशा दिल को भाती थी न बचपन की मासूमियत और बेखुदी वो दिन किसी भी उम्र में यादगार रहते हैं बचपन की वो मस्ती वो खिलखिलाहट हर छोटी छोटी खुशी हर बड़ी बात कितने अच्छे होते थे न वो दिन दौड़ते खेलते घर के छत पर सपनों की दुनिया में खो जाते थे रोज स्कूल की घंटी की सदा दोस्तों की साथ बातें करना हंसना खेलना नानी के घर या दादी के घर के पास हर छुट्टी पर मिलना कजिन से मिलना दोस्तों से मिलना हर छोटी छोटी बातें अच्छी रहती थी न हर हर संडे जो 10 बजे मूली का इंतजार करते थे और इवनिंग में मूवीस का इंतजार करते थे तब ये नाम मोबाइल होते थे न टीवी होते थे हम अपने फ्रेंड्स के साथ कितना मजा करते थे जॉय करते थे कितना अच्छा था न वो दिन आज भी मुझे वो कॉलेज के दिन स्कूल के दिन पूरा टाइम कितना अच्छा होता था घर में लटक गए देखते थे सारे सितारे रात को खत्म होती नहीं थी हमारी बातें आ रही है जिंदगी थी बस खिलौनों की तरह हर मोड पर था नया सफर नया परिवार बचपन की वो यादें वो पल याद आते हैं जब बिना फिकर के जीना था खुशियाँ बनाते थे सारे बचपन के दिन खुशियों की हसीन यादें जैसे 1 प्यारी कहानी थी परछाइयां घर के छत पर उड़ते पतंगों की सवारी और गलियों में ढूंढते खूबसूरत सपने सारे दोस्त के साथ बैठकर कहानियां सुना करते थे जंगल के राजा शहरों के रास्ते सब जनाने हमसे नन्हे हाथों से बनाते थे कुछ खास मिट्टी के घर गुब्बारे और खिलौने सभी अमूल सा रात को नींद आती थी सपनों में खो जाने को सुबह फिर से उठ कर नए सपने सजाने को बचपन की वो मासूम है वो भी खुद हर 1 पल यादगार थाना हर 1 कहानी अनोखी थी न बचपन की वो यादें भरी हवा जिसमें हम लोग आम के पेड़ के नीचे मम्मी के साथ ठंडी ठंडी हवा में आराम करते थे आम खाते थे अमरूद खाते थे कैसे दिन थे वो बड़े ही प्यारे दिन थे बड़े ही मूल 3 थे जैसे खिला हुआ फूल जैसे उड़ती हवा की लकीर बचपन के वो दिन हमेशा रहेंगे दिल के करीब हमेशा मेरे बचपन की वो आते हैं जब हम चित्रहार का वेट करते थे बचपन के वो दिन जब हम गलियों में गलियों में आइस्क्रीम वाला आता था और हमें गर्मियों में यू से डर लगता था बाहर जाने में क्या थे वो दिन जब हम शहतूत पेड़ से शहतूत तोड़ कर खाया करते थे अबू तोड़कर खाया करते थे दूसरे के घर में करके जाते थे छतों से 1 दूसरे के घर में क्या थे वो दिन हमेशा याद रहेंगे हर मुश्किल में सहारा बनाकर जीते थे हम सारी हस्ती दोस्त केस करते थे अनोखी मस्ती हमेशा याद रहेंगे दिन
Ranjana Kamo
@Gamechanger · 0:10
कितनी अच्छी मेमरीज है और आपने ने बहुत ही अच्छे से सजोकर यहां रख दिया है थैंक यू सो मच