@PremikaLekhika
Premika Lekhika
@PremikaLekhika · 4:42

अज्ञातवास-भाग

article image placeholderUploaded by @PremikaLekhika
छोटी? पांव? नहीं हैं? अटते? भैया? पापा। मम्मी? मुझको? ले जाओ? अब? आकर? नहीं? तो? अब मेरी पीड़ा। ससुराल? बताओ जाकर। चीख? चीख के। लौटाती थी। उसकी। सभी पुकारे। हे? कृष्णा। अवतार लो। तुमको भक्तन। तेरी पुकारे। लंबे? श्वास के बाद। वो बोली? और नहीं? देखोंगे। शोषण का व्यापार। आज। अब इसी घडी रोकेंगे। आज। छुपाए बैठी थी। वो। तेज धार।

एक स्त्री की कहानी, फिर एक स्त्री की ज़ुबानी

@Bibliophile
Gunjan Joshi
@Bibliophile · 2:29
सुप्रभात। लेखिका। जी। आपकी। रचना। अज्ञात। वास। बहुत ही खूबसूरत कविता होने के साथ। 1 बहुत ही सशक्त प्रस्तुति भी है। जो वीर रस का आभास दिलाती है। यह 1 यात्रा का वर्णन है स्त्री की। जो अबला नारी से। 1 सशक्त नारी के तौर पर उभरती है और बाकी महिलाओं का भी सशक्तिकरण करती है। होना भी यही चाहिए किन्तु भारतीय समाज का 1 कटु सत्य? यहां पर मैं उजागर करना चाहूंगी कि जो औरतें जो महिलाएं सशक्तिकरण का सही अर्थ नहीं जानते हैं। और उनके लिए सशक्तिकरण कुछ रिश्ते और कुछ चिर परिचित दायरे हैं? या कुछ?
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