@PremikaLekhika
Premika Lekhika
@PremikaLekhika · 4:52

अज्ञातवास-भाग

article image placeholderUploaded by @PremikaLekhika
नहीं, ये मिट्टी की काया है यौवन के चंचल मन को छणछणइठलाता देखा पी की आहट से आती मुख पे मृदु हास की रेखा हृदय प्रफुल्लित होकर भरता फिर नयनों में पानी विरह की पीड़ा। उस पत्नी से बढ़कर किसने जानी वर्षों से वो राह देखती थी अपने साजन की। कितने वर्षों बाद मिली थी उसको ऋतु सावन की गोधूली की बेला थी और दुल्हन बनी थी शाम सीता दर्शन को व्याकुल हूं अब जैसे श्रीराम वैसे ही व्याकुल थी जैसे आगंतुक सजना है नई नवेली दुल्हन को।

एक स्त्री की कहानी, एक स्त्री की ज़ुबानी

@Kavya13
Kavya .
@Kavya13 · 0:45
हेलो? प्रेमिका लेखिका। एंड लाइक थैंक। यू सो। मच फॉर ब्रिंगिंग प? सच? ब्यटिफुल। पोयम। लाइक। बहुत ही प्यारी कविता है। आपकी। आपने जो शब्दों का चुनाव किया है। और उनको 1 इमोशन के धागे में पिरोया है वो बहुत ही प्यारा है। और लाइक क्या ही कहना है। आपके पोयम का मुझे बहुत पसंद है। और लाइक आपके वर्ड्स। और उसको एक्सप्रेस करने का तरीका। मुझे बहुत अच्छा लगा। एंड आई जस्ट वन टू से दैट कीप शाइनिंग कीप। एक्सप्रेसिंग कीप। एक्सप्रेसिंग द अनस्पुकन लिखते रहिये।
@challasrigouri
Challa Sri Gouri
@challasrigouri · 0:37
हाई प्रेमिका लेकिक। आपकी स्वेल बहुत बढ़िया है। और आप जिस तरह के वर्ड्स का इस्तेमाल किए और जिस तरह नरेट किये, सब कुछ बहुत बढ़िया है। आपकी स्वेल। जब मैं सुन रही थी। मुझे ऐसा लगा कि मैं यहां नहीं हूं। मैं कहीं और हूं। और आप। आपकी हर पंक्ति के जो भाव है वो बहुत अनमोल है। ऐसे ही आप स्वेल्स पोस्ट करते रहिएगा। हम आपकी स्वेल्स जरूर सुनेंगे। और मैं यह भी मानती हूं कि आपके स्वेल्स सुनने से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। बहुत बहुत धन्यवाद।
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