स्वेल के सभी साथियों को प्रवीन कुमारी का सादर नमन। कैसे हैं? आप सब? मित्रों? मेरी पुस्तक मेरी सोच में से प्रस्तुत है। आज फिर से कुछ पंक्तियां। आप। सभी के लिए। निभाना तो पड़ेगा ही साहब? निभाना तो पड़ेगा ही साहब? यह जीवन मामूली तो नहीं? आखिरकार? जन्मजनमांत्रों के कर्म, प्रारब्ध, एवं स्वासों का सुदृढ़ सांसारिक गठबंधन है। धन्यवाद। कल? फिर? मिलेंगे? शुभ दिन?
हेलो आप की इस कविता सच में बहुत अच्छी है। और इस कविता से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। और बीइंग राइटर आई रली? लवड एवरी लाइन ऑफ योर? पोइन? थैंक? यू सो? मच?