कि मैं आज अपनी दुनिया में खुश? नहीं? संतुष्ट? नहीं। बस? यूं ही। शायद। उसके साथ भी कोई प्रारब्ध का हिसाब शेष होगा? जो इस हृदय ने इतनी अतरंगता से उसे महसूस किया। खैर? जैसे तैसे, रात, बीती। मैं, सुबह। न जाने कितनी जल्दी उठ गई। उत्साह से भरी। मानो। मुझे कुछ और दिखाई ही न दे रहा हो। 7 साल से लगातार थायरट की गोली खाए। बिना सुबह। ताजा न होने वाली। मैं।