@praveen72
Lovely Aggarwal
@praveen72 · 4:53

Book review

article image placeholderUploaded by @praveen72
स्वेल के सभी साथियों को प्रवीन कुमारी का सादर। नमन। 1 पुस्तक पर प्रस्तुत है मेरा रिव्यू। आदरनीय। सागर सियालकोटी जी का लिखा। कहानी संग्रह। जाएं? तो जाएं कहां पढ़ने का सुअवसर। मिला। कहानी क्या है? कहानी कार ने प्रस्तुत पुस्तक में कैसे व कितना ब्यान किया है? यह सब कहना तो मेरे बस की बात नहीं है। न ही मैं इतने योग्य हूं कि सागर स्याल कुट्टी जी की लेखनी पर कोई टिप्पणी कर। सकूं। अगर बेझिजक?

#collegevoiceindia

@praveen72
Lovely Aggarwal
@praveen72 · 4:34

#collegevoiceindia

भाग? 2। मुझे। इश्क सदैब? इबादत ही लगा है? भले ही वह वैवाहिक स्त्री पुरुष का ही क्यों न हो? विशेषकर जब औरत निस्वार्थ समर्पित होती है। सोचने की बात है। तेज हवाओं में। जो औरत अपना पल्लू सरकने नहीं देती। वह। बिना समर्पण के किसी की कैसे हो सकती है? उसके समर्पण के? पश्चात। अगर सामने वाला पुरुष उसका हृदय तल से नहीं होता। तो? पाप वह नहीं? कमाती। पुरुष कमाता है। कहानी? हृदय? स्पर्शी है। कहानी कार की कथनी को नमन है।
article image placeholderUploaded by @praveen72
@praveen72
Lovely Aggarwal
@praveen72 · 4:11

#collegevoiceindia

जो स्वतंत्र भारत में औरत की परतंत्रता का बखूबी चित्रण करती है। पंजाब में भले ही आज परिस्थितियां सुधर गई हैं? लेकिन कितने ही वर्ग आज भी कितने ही पिछड़े हुए खड़े हैं? इस बात का जीवंत उदाहरण यह कहानी है। पुस्तक की। आखिरी कहानी। पुस्तक के पन्नों को बंद नहीं करती। अपितु पाठक के समक्ष कितने ही सवालों के पन्ने खोलती हैं। कि फिर क्या हुआ? स्कीना ने निकाल क्यों नहीं किया? क्या? वास्तव में ही घर की छत की अपेक्षा कोठे की? छत? उसके लिए अधिक सुरक्षित थी? किसी मर्द के अधीन?
article image placeholderUploaded by @praveen72
@Swell
Swell Team
@Swell · 0:15

Welcome to Swell!

@Shilpi-Bhalla
shilpee bhalla
@Shilpi-Bhalla · 0:58
नमस्कार? प्रवीन जी कैसी हैं? आप? आपकी? यह पुस्तक? समीक्षा? सुनकर? मुझे बहुत अच्छा लगा। इसमें तो कोई 2 राय है ही नहीं? कि सागर से आल कोटी जी। 1। बहुत अच्छे लेखक हैं लेकिन उनकी पुस्तक की जो आपने समीक्षा की है उसने 11 प्रेरणा मन में पैदा कर दी है कि जल्दी से जल्दी यह पुस्तक आप पढ़ ही ली जाए और देखा जाए कि किस तरह की कहानियां प्रस्तुत करी है। सागर जी? ने। और मैं जरूर चाहूंगी इस पुस्तक को पढ़ना और जल्दी ही कोशिश रहेगी। जब भी मेरा बाजार में चक्कर लगता है तो मैं यह पुस्तक खरीद लाऊं अपने लिए।
0:00
0:00