@praveen72
Lovely Aggarwal
@praveen72 · 0:43

मेरी सोच

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हेलो? फ्रेंड्स? स्वेल के सभी बुद्धिजीवियों को लवली परवीन का सादर। नमन। कैसे हैं? आप सब? मित्रों? आज तीसरा दिन है। तीसरे दिन में। मेरी सोच की तीसरी पंक्तियां। नज़र ने कर दिया। गरीब। नजर ने कर दिया। दूर। नजर ने कर दिया। करीब। नजर ने कर दिया। दूर। य। नजर। नजर। मिलाने से पहले सोच लेना। नजर। नजर के भी होते हैं। उसूल।
@Priya_swell_
Priya kashyap
@Priya_swell_ · 0:04
बहुत ही खूबसूरत लिखा है। आपने। बहुत ही अच्छा लगा। मुझे सुनके कि पोस्टिंग लाइक दिस।
@Ba-Dastoor
Masha Rooh
@Ba-Dastoor · 1:08

Hello Lovely ji, thanks for sharing a beautiful poetry. Akhir Sab Nazaron Ka Hee Toh Khel Hai..

गौर फरमाइएगा। नजरें कहती हैं? नजरें? कहती हैं? न नफरत थी? न प्यार? न जुनून था? न एतबार की। न। नफरत थी? न प्यार। न जुनून था? न एतबार। बस बचा? था? तो उसकी यादों के मिटने का इंतजार। क्योंकि यह सब आखिर है? तो नसों का ही खेल। शुक्रिया।
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@HemaSinha1978
Hema Sinha
@HemaSinha1978 · 0:48
नमस्कार। लवली। जी। आज आपकी तीसरी पंक्ति सुनी। जो आपने नजर के ऊपर बोली है। बहुत अच्छा बोला है। आपने। बहुत ही सुंदर तरीका है बोलने का। और बिल्कुल अच्छा। बहुत सही बोला है। सब कुछ तो नजरों का ही खेल है। नजरों से ही। इंसान कई बार करीब भी होता है। कई बार दूर भी चला जाता है। नजरों। पर। बहुत कुछ डिपेंड करता है कि हम किसे किस नजर से देखते है? कौन हमें किस नजर से देखता है? सब कुछ नजरों का ही है। बहुत अच्छा आपने लिखा है। और बोलने का अंदाज। आपका। बहुत अच्छा है।
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