@praveen72
Lovely Aggarwal
@praveen72 · 5:00

मेरा आकाश (संस्मरण )

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और विद्यालय में आठवीं कक्षा तक का सफर तय हो जाता। नमी में जाकर, कुछ लेन देन की। आस बनती। वो भी अपनी एकत्रित की हुई राशि से। आज। विद्यालय में आयोजित। पार्टी को देखकर। मैं। ऐसी सोच ही रही थी। की बड़ी कक्षा की। 1 छात्रा भागी भागी आई। जोर जोर से चिल्लाने लगी। की बड़े। श्रीमान जी कहते हैं कि सभी बाहर मैदान में एकत्रित हो जाओ। दसवीं कक्षा को देने वाली विदाई पार्टी का कार्यक्रम होने जा रहा है। सभी छात्र देख कर जाएंगे। खाने पीने के समय वस्नौमीदस्मी रहेगी।

पच्चीस पैसे की साबुनदानी

@praveen72
Lovely Aggarwal
@praveen72 · 1:15
लेकिन मां ने हाथ में पकड़ते ही पहले मेरा माथा चूमा और फिर साबुनदानी। और पुरस्कार तो पुरस्कार ही है? कहते हुए उसे पेटी में संभाल कर रख दिया। आज भले ही इस बात को अड़तीस वर्ष हो चुके हैं और हरी कृपा से मैं अनगिनत पुरस्कार व प्रमाण पत्र भी प्राप्त कर चुकी हूं। लेकिन वो 25 पैसे की साबुनदानी का कून, उसका फिरोजा रंग, उसकी चमक? और उसकी बनावट, आज भी मेरे हृदय पटल पर अंकित है? ऊपर से माँ का अतुलनीय। आशीष। सच में। ऐसे सुखद। कुषाणों के आनंद के लिए हरी चरणों में कोटी कोटी नमन।
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