क्या ही मैं फाइटर बनूंगी? जब तक मैं खुद से ना लडूंगी। रामजी ने भी तो रावण का वध किया था? क्या खूब? कुशलता पूर्वक उन्होंने बुराई का अंत किया था? जी हां? क्या खूब? कुशलता पूर्वक? उन्होंने बुराई का अंत किया था? बुराई का अंत करने के लिए। तो माता रानी ने भी अपना रूप बदला था? क्या खूब? उन्होंने दुष्टों का संहार किया था? क्या खूब? उन्होंने दुष्टों पर प्रहार किया था? कृष्णा जी ने भी तो बुराई का अंत किया था? उन्होंने तो अपने मामा का ही वध किया था? जी हां? उन्होंने तो अपने मामा कंस का ही वध किया था। कितनी प्रेरणा? मिलती? है? न? इन सब बातों से? खुद से? बुराइयों से, लड़ने की? क्या खूब? ताकत? मिलती? है? क्या खूब? क्षमता? मिलती? है? पापा की परी? बोलकर? नाजुक सी कली समझ कर? पापा की परी? बोल कर? नाजुक सी? कली समझ कर? उस? पर? बहुत जुल्म हुए हैं? वो भी तो डरी है? वो भी तो छुपी है? हाँ? वो भी तो डरी है? वो भी तो छुपी है। मगर। अब खुद के डर से लड़ने की बारी है। हैवानों। को? सबक सिखाने की बारी है? खुद के अंदर के फाइटर को। को जगाने की बारी है। अब असल मायनों में लड़ने की बारी है। अब असल मायनों में 1 दूसरे के साथ चलने की बारी है? जी? हाँ? अब असल मायनों में 1 दूसरे के साथ लड़ने की बारी है? 1 दूसरे के साथ चलने की बारी है? है? हां? बिल्कुल? अपने अंदर के फाइटर को जगाने की बारी है। सबसे पहले सबसे अहम अपने अंदर के फाइटर को जगाने की बारी है। क्या ही मैं फाइटर बनूंगी? जब तक मैं खुद से ना लडूंगी। क्या ही मैं फाइटर बनूंगी? जब तक मैं खुद से ना लडूंगी। आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद।
Jagreeti sharma
@voicequeen · 1:04
मंजिल तक नहीं पहुंच पाते। आपके लिए। 2 लाइनें ही? याद आती है? मंजिल? दूर है। पर जाना तो जरूर है। मंजिलों के सफर में। आपके कदमों का हौसला ऐसा हो कि अगर मंजिल न भी मिले तो भी। राहों को आपके कदमों का इंतजार हो? धन्यवाद लिखते रहें। आप। हमेशा बहुत अच्छा दिखती है। और आपको सुनना अच्छा लगता है।