जब पहली बार मैंने खुद को निराश किया 😞
1 अनजान को जीवन साथी चुन लिया। 1 अनजान को जीवन साथी चुन लिया। वो सुनाते रहे। और मैंने चुपचाप। सब सुन लिया। जवाब न दे पाई। मैं तो रो कर गम को आजाद किया। यह दूसरी बार था जब मैंने खुद को निराश किया। सोचा था नए घर में। खुद के लिए। छोटी सी जगह बनाएंगे। सबने कहा यही अपना है? तो इस सपने को सच में अपना बनाएंगे। पर कहाँ जाना था मैंने? कि यहाँ भी? मैं दूसरे घर की ही कहलाऊंगी? तो अब मैंने खुद को बेघरी मान लिया। और इस बार भी मैंने बस खुद को निराश किया।