अकबर बीरबल की कहानी (मातृ भाषा )
और उन्होंने राजा अकबर को यह प्रस्ताव दिया कि यदि वास्तविक में आपके दरबार में नौरत में शामिल है तो आप मेरी मात्र भाषा पहचान कर। बताएं। राजा अकबर ने उन्हें उनके प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए हुए कहा कि ठीक है आप मुझे 1 दिन का समय दीजिये मैं आपको 1 दिन में आपकी वास्तविक भाषा आपकी मातृ भाषा पता करके बता दूंगा। राजा अकबर के दरबार में उपस्थित लोगों ने उनसे अलग अलग भाषा में अलग अलग प्रकार के सवाल किए और विद्वान पंडित ने उन सभी से सवालों को बहुत अच्छे तरीके से जवाब दिया और उनके जवाब को सुन कर ये कह पाना बड़ा ही मुश्किल था कि इनमें से कोई भी भाषा उन्होंने बाद में सीखी है हर भाषा में वे पारंगत थे और हर भाषा का जवाब वे कुछ इस प्रकार दे रहे थे जैसे लग रहा था यह उनकी वास्तविक भाषा ही है समय बीता रात हुई और उस रात राजा के दरबार में ही राजा के ही महल में विद्यमान पंडे को रखने का इंतजाम किया गया। राज दलबल खत्म होने के बाद इस विषय में राजा ने अपने प्रिय मित्र एवं मंत्री बीरबल से भी चर्चा की। बीरबल को राजा की बात समझ में में आ गई और बिलवाल ने 1 योजना बनाई। पंडित की मातृ भाषा पहचानने के लिए बिलवाल। आधी रात में पंडित के कक्ष के भीतर प्रवेश किया। और उन्होंने पंडित के कान में गुदगुदाना शुरू किया। 1 रोज लेकर उन्होंने पंडित के कान में गुदगुदी करनी शुरू की और कुछ इसी प्रकार 23 बार करने पर पंडित के मुंह से उनकी मातृभाषा में कुछ शब्द निकले और वह मातृभाषा बिलबल ने पहचान ली वो कन्नाकी और अगले दिन दरबार में बिरबल ने सभी के सामने उनकी मातृभाषा बता दी। पंडित के पूछने पर बिरबल ने उन्हें रात वाली घटना का पूरा व्याख्यांश दिया और बिलबुल ने कहा 1 व्यक्ति बेशक कई सारी भाषाओं में पारंगत। हो सकता है किन्तु जब भी वो किसी मुश्किल में हो किसी परेशानी में हो। उसे सबसे पहले अपनी मां की याद आती है। सबसे पहले अपनी मात्र भूमि की याद आती है। उसे सबसे पहले अपनी मात्र भाषा की ही याद आती है। थैंक यू।
Muskan Bothra
@Heart_sayer · 1:05
नमस्कार? मैं। आपकी ये कहानी सुन कर। मुझे बचपन की याद आ गई। बचपन में। मैं रोज रात को कुछ ऐसी ही कहानियां अपने पापा से सुन कर सकती थी। हां उनमें कुछ कहानियाँ अगबुटबीबलकीभी होती थी। और ये कहानी मैंने भी सुनी थी। तो जब आपने यह कहानी सुनाई तो मेरे बचपन की यादे ताजा हो गई। आपने अपनी कहानी में। वो खूबी बताया कि कैसे ऐसे हम कितनी भी भाषाओं में? या कितनी भी चीजों में प्रारंगत? क्यों न हो जाए? लेकिन जो अपनी निजी होगी वो अपने आप। हमारी जरूरत के वक्त? या जब हम बहुत खुश होंगे?
Prabha Iyer
@PSPV · 4:12
तो कैसे खाना बना बना सकता है? ऐसे? तो? नामुमकिन है न? आप? जब बोलते हो कि मतलब ठंड में? समुद्र में? या नदी में? खड़े हो के दूर में? 1 चिमनी जो है? उस चमक से मतलब अगर गर्मी पा सकते हैं? तो मेरा खाना भी तो ऐसे पक सकता है? तब अकबर को रियलाइज होता है कि उन्होंने क्या गलती किया है? this is all? really? motivating? and actually? it is it? emposises? on? the mind? the thinking? power? and morales? thank you?