हमेशा कोई बताने वाला नहीं होता ...
लेकिन आपकी खुद की कोई आइडेंटिटी नहीं है? तो अगर भीड़ से हट के कुछ करना है? तो अकेले चलना सीखना होगा? पतियां कुछ इस प्रकार है। हमेशा कोई बताने वाला नहीं होता। हमेशा कोई बताने वाला नहीं होता? सफल होने पर। पीठ थपथपाने वाला नहीं होता? हाल जाऊं अगर? तो गले से लगाने वाला नहीं होता? इस बिखरे? टूटे दिल को अपनाने वाला नहीं होता। हमेशा कोई पोच के आंसू। फिर हंसाने वाला नहीं होता? जख्म खुदे जाते हैं लोग? पर मरहम लगाने वाला नहीं होता?
हेलो जी। आपने बिल्कुल सही कहा है कि इस जिंदगी के सफर में हमें अकेले चलना सीखना होगा। हमारा साथ देने वाला कोई नहीं है। हमे जगमीपैरंसे भी आगे बढ़ना होगा। और हर हालत में भी आगे बढ़ना होगा। हमे इतना स्ट्र रोंग बनना है कि हमें किसी के सहारे की जरुरत ही न पडे। क्यूं कि लाइफ में सब अपना अपना ही देखते हैं। कोई पलट कर? 1 दूसरे को देखने वाला नहीं है। इसलिए खुद का सहारा खुद ही बनना है। और आपकी पटरी भी बहुत ही ज्यादा खूबसूरत है। बहुत ही ज्यादा अच्छी है। आई होप?
Nikhil Kumar
@nikhil5155 · 0:29
hi? how are you? 1? चीज है? काफी रिलेटेबल प्वॉइंट थी। एंड? काफी अच्छी थी। और तो सुना ही होगा। आपने की सक्सेस? मिलती है? किसी को? तो सब साथ होते हैं। जो बुरा वक्त आता है के साथ? नहीं होता है? लेमीईचीजहैसबसे? बड़ी बात की। देखिये। लोग एफर्ट्स देखते हैं। आपका? स्ट्रगल? नहीं? तो यह चीज नॉर्मल है। एंड थैंक यू सो। मच। शेयर करने के लिए काफी रिलेटेबल प्वॉइंट थी।
Swell Team
@Swell · 0:15
Urmila Verma
@urmi · 1:48
प्रज्ञा जी। आपकी कविता सुने। बहुत अच्छी लगी। इसमें कुछ दर्द भी है। और फिर साहस भी। बटोरा जाता है। खुद से सारी लड़ाई। लड़ने। का। आपकी। कविता का शीर्षक है कि हमेशा कोई बताने वाला नहीं होता। यह सत्य है कि हमेशा कोई नहीं होता। जो हमारी सफलताओं पर हमारी पीठ थपथपाए। जिससे हम अपने दिल की बात करे। जो हमारे जख्मों पर मरहम लगाए। ऐसा हमेशा नहीं होता। और तब बहुत कच्चो उठता है। दिल कि काश कोई होता है?
Akanshya Kajol
@AKA381 · 1:52
और मैं यही कहना चाहूंगी कि प्लीज और शेयर कीजिए क्योंकि बहुत ही प्यारी पंक्तियां हैं बहुत ही अच्छी है। और अगर कोई सुने तो बहुत ही रिलेट कर पाएंगे। इन पंक्तियों को। सो। थैंक? यू सो मच।
वेलकम स्। faमलinबहुती कविता को बताया है की हमेशा कोई बताने वाला नहीं होता। सो खुद भी सोचना पड़ता है। खुद भी चलना पड़ता है। उन रास्तों पे, जगहों पे टटोलना पड़ता है। जहाँ पर हमारे साथ कोई नहीं होता। बहुत प्यारी कविता आपने यहाँ बताई है। और शब्दों का जो चयन किया है वो बहुत ही खुबसूरत है। तो इसी तरीके से शेयर करते रहियेगा और हमें बताते रहियेगा। अपने मन की बातें। थैंक यू।
Sabi Sharma
@swenzaa67 · 0:48
हेलो? प्रज्ञा? साबी बोल रही हूँ। आपका जो टाइटल है हमेशा कोई बताने वाला नहीं होता। यह पॉटरी में आपने पूरी लाइफ की। 1 झलक दिखा दी की कोई भी सिचुएशन में हम जिसे एक्सपेक्टेशन रखते हैं। कि हाँ यह मुझे समझेगा। ये मुझे कोई बात समझाएगा? या मेरे सक्सेस होने पर मुझे एप्रीसिएट करेगा? या मेरे अकेले पन में मेरा साथ देगा? बट? ऐसा नहीं होता। लाइफ के हर फेज में हर कोई साथ नहीं देता। तो जैसा की आपने कहा की हमें अकेले ही जीना चाहिए। अकेले ही चलना चाहिए।