जीवन - "एक रंगमंच"
सब। के अपने। किरदार हैं? अपनी भावनाएं। और अपने विचार। है। अब लोकन का अपना अलग है। ढंग। जीवन। 1 रंगमंच। सच। कहना मुश्किल है? झूठ सहना भी मुश्किल है। सच कहना मुश्किल है? झूठ सहना भी मुश्किल है। मन के भीतर। चल रही। अपनी अलग ही जंग। जीवन। 1 रंगमंच। मानव जैसे भाग रहा है। कागज के टुकड़ों पर।
हाई प्रज्ञा जी। आपने बहुत ही सुन्दर कविता लिखी है। जीवन 1 रंगमंच। इसमें अपने जीवन के हर 1 पहलू को बहुत अच्छे से दिखाया है। चाहे वो नारी का व्यवहार हो, नारी के साथ दुराचार हो या कलयुग में होने वाले रिश्ते हो, प्यार हो, दोस्ती हो। बहुत ही अच्छे से आपने हर चीज को बयां किया है। और जो आजकल लोग अपने माँ बाप को लेकर न वो कहते हैं कि मेरे पिताजी अनपढ़ हैं? या मेरी माताजी बुढ़िया है। आप ये जो चीजें हो रही हैं। आजकल सच में।