मैं तुम से हम तक का सफर ....
हेलो? एवरीवन? मैं प्रज्ञा। तिवारी। आज उपस्थित हूँ? अपनी 1 नई कविता लेकर। जिसका शीर्षक है मैं। तुम से हम तक का सफर। जिंदगी जिंदगी में। उतार। चढ़ाव तो लगे ही रहते हैं। पर इन्हें फेस करने की। ताकत जहां से आती है। वो 1 सोर्स है। वो व्यक्ति? जिसे हम पर हमेशा से विश्वास था। है। और शायद जिंदगी भर रहेगा? जिसे देख के हमें ताकत आती है। इन सिचुएशंस को पेश करने की। इनसे लड़ने की। 1 उम्मीद। जगती है। दिल में। कि?
Urmila Verma
@urmi · 1:23
बहुत अच्छे से कविता में दर्शाया है। बहुत ही अच्छी तरह से। आपने परिभाषित किया है। इसमें। संबंधों को और सागर। सरिता का गंतव्य सागर ही होता है। अंतत सागर में ही वो मिल जाती है? तो मिलना ही है। और वो विश्वास पे उसको खरा उतरना ही है। पूरा विश्वास। आपको। इस कविता में। आपने। दर्शाया। बहुत अच्छी कविता लगी। आप। ऐसे लिखते रहिये।