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Shalini Tomar
@Positivelife24 · 1:36

#Poetry | Reading one of my poems...Zindagi ka sach

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पानी खोने की दौड़ में, पाने खोने की दौड़ में, हर पल मैंने खुद को कितना गंवाया है पानी खोने की दौड़ में, हर पल मैंने खुद को कितना गंवाया है यह आज बैठ कर सोचा तो 1 आंसू छलक सा आया है यह आज बैठ कर सोचा तो 1 आंसू छलक सा आया है। कैसे समझाऊं इस पागल मन को? कैसे समझाऊं इस पागल मन को के ये जग प्रभु की माया है ये जग प्रभु की माया है, इसे कोई समझ न पाया है, इसे कोई समझ ना पाया है धन्यवाद।

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