जमा होता है अंदर तो समुंदर बन जाता है दिल को तैरना नहीं आता डूब सकता है अच्छा है आँखों के रस्ते बह जाने 2 इन्हें ये 22 बूंद आंसू मिलकर सैलाब बन सकता है वक्त पर इसे बह जाने 2 आँखों से बाहर इसे दबे पाँव आने 2 रोक लिया तो यह जिद पकड़ सकता है जमकर तेजाब बन सकता है

A poem on tears

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