यूं ही आज अपनी पुरानी ट्रांसिस्टर से दूर झाड़कर उसे नींद से जगाया हमने 1 कटी आवाज से उसने अपनी पहली सांस ली और फिर जैसे हवा में मेरे लिए कुछ नगमे ढूंढने लगी 1 डोर सी पकड़ में आई वक्त में कहीं खोए उलझे गीतों के गुच्छे की और खुरदरी आवाज में मीठी सी 1 याद परोसने लगी ऐसा लग रहा था कि खीर में कुछ रेत सा पड़ा हो मगर स्वाद से ऐसा महसूस नहीं हुआ कि रेत है बस बीते दिनों के सुनहरे रातों की 1 प्यारी सी कड़ी से मुझे जोड़ गयी धन्यवाद

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