ऐसा खूबसूरत को, जिसमे जैसे है जनता की मूरत कोई जिसमे जैसे राहु के जादू, कोई, जिस्म ना कोई जिसमें खुश हो कोई जिसमें जैसे मचलती हुई रागिनी, जिस्म जैसे मैक ले जादे जिस्म जैसे खिलता हुआ चमन जिस्म जैसे कि सूरज की पहली किरण, जिस्म दशा हुआ दिल कशुदिललशी संदरी संदली म मरी म मरिनी उसने जाना कि तारी मुमकिन नहीं, हसेजनानाकीतारी मुमकिन नहीं, परी आपरी आपरी परी तो भी दे खे तो कहे हम नशी आपरी आपरी आपरी आपरी उसने जाना कि तार हम कि नहीं।