Nitish Sharma
@nitish093 · 1:24
I just had a random thouth so recorded it freestyle
तुझसे जुदा होने के बाद भी समझ नहीं आता है। गुजार लो। जिंदगी तेरी याद में? या किसी बहाने से। किसी और के याद में। को झाकितरसतारहूँ तुझे पाने की आाज में? या किसी और की आस बन जाऊं। जो प्यासा रह गया। हूं तेरे जाने से। क्या किसी और के प्यार से प्यास? बुझा? दूं? या रखूँ तेरे आने की आस। और पूरी जिंदगी। यहीं गुजार दूं। मिले कभी फुरसत तो हमें याद जरूर करना। इवाज जस्ट?
Jaya Sharma
@jayasharma · 0:36
हाई नीतिश जी। आपकी कविता बहुत अच्छी है। आपने। फ्री स्टाइल में ही इतनी अच्छी लिखी। इतनी अच्छी कविता। बोली रिकॉर्ड की। तो लिख के तो बहुत ही अच्छा कर सकते हैं। आप। आप ट्राई जरूर करिएगा। आपकी। कविता बहुत अच्छी थी। और आवाज उससे भी अच्छी मतलब। दोनों का तालमेल जबरदस्त था। बहुत सामंजस्य था दोनों में। और बहुत अच्छी। कविता। आपके। आगे। और भी इसी तरह प्रयास करते रहिएगा। थैंक यू।