@NitaDani555
Nita Dani
@NitaDani555 · 3:17

जीने की चाहत

article image placeholderUploaded by @NitaDani555
नमस्कार लिस्नर्स आज मैं जो कविता बोलने जा रही हूँ उसका शीर्षक है जीने की चाहत हाँ अब खुद के लिए जीना चाहती हूँ में कुछ नया करने की चाहत मन में है मेरे पर कसमसा कर रह जाती हूँ मैं हाँ अब खुद के लिए जीना चाहती हूँ मैं जिंदगी की उलझनों में बंदी रिश्तों के मुंह में बंदी बचपन गया जवानी गई जिम्मेदारियों को में निभाती रही संघर्ष घने जिम्मेदारियां ढेर सी इर्दगिर्द बढ़ती गयी सब में उलझी स्वयं से बेखबर रही मैं उम्मीदों का चमन मुरझाता रहा फिर भी आंगन को फूलों से महकाती रही उम्मीदों का चमन मुरझाता रहा फिर भी आंगन को फूलों से महकाती रही ख्वाहिशों ख्वाबों के महल को भूल कर अपने घर की गुलिस्ता को सजाती रही हर दिल को छूने की चाह में अपने मन को अनछुआ अनदेखा करती रही मैं उम्र के इस पड़ाव में नाजुक से इस दौर में मानो उड़ने का न्यौता मिला हो मुझे उम्र के इस पड़ाव में नाजुक से इस दौर में लगता है उड़ने का न्यौता मिला है मुझे उम्मीदों का मौसम आया हो जैसे 1 खोज सी लगी है 1 जोश सा भरा मन में मन में दबी कुछ अधूरी सी फाहिशें पूरा करने की जिद मचलने लगी है जज बातों भावों को उकेरने कलम हाथ में कसमसाने लगी है कौन क्या कहेगा उल्हानो तानों की कितनी बौछारें होंगी उनसे बेखबर मैं कुछ अनकहा अंश हुआ लिखने को लेखनी उकसाने लगी है उम्र के इस पड़ाव में क्या कोई गुनाह कर रही हूँ मैं उम्र के इस पढ़ाव में खुद के लिए कुछ नहीं शायद बहुत कुछ करना चाहती हूँ मैं मन और जिंदगी के मध्य संघर्ष तो हमेशा से चलता रहा मन और जिंदगी के मध्य संघर्ष हमेशा से चलता रहा मन और जीवन के मध्य चलते इस प्रतिरोध को में तालमेल में बिठाना चाहती हूँ मुस्कुराती खिलखिलाती जीवंत सा रूप धारण करना चाहती हूँ मैं धन्यवाद

जीवन,रिश्ते,ज़िम्मेदारी,उम्मीद # संघर्ष,उलझने,ख़्वाहिशें,कसमसाना

@purujitshashwat
Nidhi Tripathi
@purujitshashwat · 1:08
हेलो नीताजी मैंने जीने की चाहत चल सुनी मुझे बहुत अच्छी लगी मैं भी कुछ पंक्तियां बोलना चाहती हूँ जिंदगी जीने की चाहत थी मगर तीर सी अब चुप रही है जिंदगी गम के साये में भले हम आज हैं हौंसला है जीत भी है जिंदगी मानता हूँ थम गया है पल मगर चल रही है रफ्तार से जिंदगी रोककर रास्ता भले हर ठहराव दे मंजिलों के ख्वाब में जिंदगी गम के मारो का मुकद्दर है मगर 1 सिकंदर आज भी है जिंदगी श्याम के दिल में धरती राधा 1 सुहानी चाह भी है जिंदगी थैंक यू नीताजी
@Gamechanger
Ranjana Kamo
@Gamechanger · 0:39
बहुत अच्छी कविता है और कैसे आपने अपने भावों को व्यक्त किया जो आप सोच है na i think अब स्वेल कास्ट में अपनी कविताएं पढी है ये सबसे अच्छा काम आप कर रहे हैं क्योंकि इसमें आप अपने आप को एक्सप्रेस कर पा रहे हैं और इन कविताओं के माध्यम से इसे जारी रखियेगा और हमें इतनी खूबसूरत कविताएं सुनाते रहिये धन्यवाद
@Swell
Swell Team
@Swell · 0:15

Welcome to Swell!

@smileypkt
Prashant Kumar
@smileypkt · 1:41
हेलो नीता मैम आपने बहुत ही कमाल की 1 कविता शेयर की है और इस कविता का सबसे जो मेरा फेवरेट लाइन है कि इस कविता का जो लाइन है कि दूसरे के मन को छूने की चाह में या उस प्रोसेस में हम अपने ही मन को बिना छुए रह गए है। हमारा ही मन अनछुआ रह गया यानि हम दूसरों को प्लीज करने के चक्कर में, दूसरों को रिझाने के चक्कर में, न खुद को जान पाते हैं, न खुद को अच्छे से एक्सप्रेस कर पाते हैं जीवन में।
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