मेरे दिल को चुरा लेने वाले मेरी अदाओं पर फिदा होने वाले मेरे दिल पर बिजली गिराई जो तुमने ये शरारत नहीं है तो फिर और क्या है जैसे मधुर गंध बसी हो सुमन में वैसे ही बसे हो तुम मेरे इस मन में निगाहें मिलाकर चुराते हो नजरें निगाहें मिलाकर चुराते हो क्यों न करे यह मुहब्बत नहीं है तो फिर और क्या है जीवन से है प्यार तो गुनगुनाइए जीना चाहते हैं तो मुस्कुराए दिल में बसे प्रेम को