@NitaDani555
Nita Dani
@NitaDani555 · 4:33

दिन के पहर

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नमस्कार मित्रों मेरी इस रचना का शीर्षक है जीवन के प्रहर, सुबह, दोपहर, संध्या और रात दिल का प्रथम पहर जैसे बाल सूर्य को लेकर आता है मानव जीवन का प्रथम पहर भी बालपन की किलकारी सुनाता घर आंगन को महकाता हँसता गाता जिद, मनवाता चपल चालते से चलता जाता, फिर जब धूप खिल कर चटकती, बालक भी किशोर बन जाता, विद्या अर्जन करता, गुण संस्कार ग्रहण करता, नई दुनिया में कदम रखता फिर जब धूप चिलचिलाती, पूरे यौवन से उष्मा बरसाती जीवन में 1 मस्ती सी, छाती नीला, अंबर, हँसता, दिखता उपवन सी यह दुनिया लगती पुष्प सुगंधित रंग, रंगीले मन में नई उमंग भर जाती, चाहतों के स्वपन मन में पलते मन की नैया डोलती जाती, सा यह मन बन जाता, कुछ कर गुजरने का जज्बा आसमान छूने का हौसला तनमन में भर जाता फिर जब अस्ताचल में जाता, सूरज धीरे धीरे ढलने लगता, पंची वापस घर को आते पेड़ पौधे भी ऊंगने से लगते, जीवन संध्या में पहुँच मानव भी ठकने सा लगता जीवन सागर में आया ज्वार भी मानो जैसे थमने लगता, तन की उष्मा मन की उड़ान धीरे से उतरती जाती सीढ़ियां क्लांत तन मन विश्राम हेतु आतुर सा हो जाता और जब सूर्य पूर्ण ढल जाता, अन्धकार चहूओर पसर जाता, वृद्धावस्था से क्लांत, तन, मन, शिथिल, चरण जीवन ओज सब हरते जाते, डूबते सूरज का नहीं, जैसे देता कोई साथ मानव भी अकेला हो गहन विश्राम की निद्रा की ओर बढ़ने लगता और फिर मृत्यु की आहट होते ही और फिर मृत्यु की आहट होते ही जब सांस उखड़ने लगती, व्याकुल पीड़ित मानव पल भर में व्याकुल पीड़ित मानव की पल भर में देहमृतप्राण हो जाती, उसकी सांसों की सरगम थम जाती जीवन कभी सुर्योदय, कभी तपकी दुपहरी, कभी सांझ की बेला, तो कभी रात काली श्वासों की डोर टूटने से पहले मानव कुश तो सोच विचार कर ले क्यों आया इस दुनिया में किसलिए आया सृष्टिकर्ता के ऋण को चुकाने का कुछ तो विचार कर ले अपने अंतस में झाँक रे मानव प्रकाश का स्रोत तेरे भीतर ही चुक ा है, परम ब्रहम का तेजस आलू भीतर ही तेरे चमक दमक रहा है, रौशन कर दे इस प्रकाश से दुनिया भर के तमस् तू, तपते धूप की छाँव न बनो, तुम तपते धूप की छाँव बनो, तुम सूरज की किरणे बन, जग में उष्मा और प्रकाश फैलाओ संसारी सुख संभंगुर को उनमें मत रम जाना, विषम तमस में भी अपने उन में सुचिता को अपनाना, स्वयं को खोज तो मानव यही प्रयास तो है साधना मानव जीवन मिला इसलिए 84 काटकर जाना छोड़ो अहंता ममता जगत की परमात्मा से ही प्रीति लगाना धन्यवाद।

सूरज,बचपन,यौवन # धूप,साँझ,सांसो की सरगम

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